राष्ट्रीय
19-Jul-2024
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मुंबई(ईएमएस)। शिवसेना और पार्टी का चुनाव चिह्न धनुष्यबाण खोने के बाद उद्धव ठाकरे बड़े संकट का सामना कर रहे थे। हालात ये बने नई पार्टी का नाम और निशान मिला लेकिन पार्टी के पास चुनाव लड़ने का फंड नहीं था। ठाकरे ने लोकसभा चुनाव बिना किसी पार्टी फंड के लड़ा और वोटों के आशीर्वाद के बल पर प्रचंड जीत हासिल की। अब चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी को चुनावी चंदा लेने की अनुमति दे दी है। शिवसेना (यूबीटी) के महासचिव सुभाष देसाई की अध्यक्षता में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल भी गुरुवार को आयोग से मिला था। इससे पहले आयोग ने एनसीपी (शरदचंद्र पवार) को भी आम लोगों और निजी कंपनियों से चंदा लेने की अनुमति दी थी। उद्धव ठाकरे ने पार्टी फंड स्वीकार करने की मंजूरी के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग में आवेदन किया था। इसी आवेदन पर चुनाव आयोग ने धारा 29बी के तहत उद्धव बालासाहेब ठाकरे की पार्टी शिवसेना को चंदा स्वीकार करने का फैसला किया है। इसलिए विधानसभा की तैयारी में जुटे उद्धव ठाकरे को और ताकत मिल गई है। अयोग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि निर्वाचन प्राधिकार पार्टी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार सरकारी कंपनी के सिवाय किसी भी व्यक्ति या कंपनी द्वारा स्वैच्छिक रूप से दिए गए किसी भी राशि के अंशदान को स्वीकार करने के लिए अधिकृत करता है। पार्टी ने आयोग से अनुरोध किया था कि वह जनता से स्वैच्छिक अंशदान स्वीकार करने के उद्देश्य से पार्टी की स्थिति को दर्ज करने वाला एक पत्र या प्रमाणपत्र जारी करे। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव करीब तीन महीने दूर हैं। विधानसभा से पहले उद्धव ठाकरे की पार्टी को बड़ी राहत मिली है और चुनाव आयोग ने उन्हें पार्टी फंड स्वीकार करने की इजाजत दे दी है। दिलचस्प बात यह है कि पिछले हफ्ते ही चुनाव आयोग ने शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को पार्टी फंड स्वीकार करने की अनुमति दी थी।निर्वाचन आयोग ने पिछले साल फरवरी में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी थी और उसे धनुष तथा तीर चुनाव चिह्न आवंटित करने का आदेश दिया था। यह पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी खेमे के लिए झटका था। ठाकरे के पिता बाल ठाकरे ने 1966 में पार्टी की स्थापना की थी। वीरेन्द्र विश्वकर्मा/ईएमएस 19 जुलाई 2024