ज़रा हटके
17-Jul-2024
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मुंबई,(ईएमएस)। सेंध लगाकर एक चोर एक कवि के घर में घुसा। उसने एलईडी तो चुराया ही, खाने-पीने की वस्तुएं तुआर, चना, मूंग और मसूर आदि दालों के पैकेट, तेल, साबुन और चायपत्ती भी चुरा कर ले गया। उस वक्त घर में कोई नहीं था, इसलिए उसने आराम से दो बार में चोरी की वारदात को अंजाम दिया। जब दूसरी बार चोरी कर रहा था, तभी उसे पद्मश्री का सम्मानचिह्न, पुरस्कारों की बड़ी ट्रॉफियां और दीवारों पर टंगी तस्वीरें देखकर पता चला कि यह तो मराठी के मशहूर कवि नारायण सुर्वे का घर है। क्योंकि उसने सुर्वे की कविताएं पढ़ी थीं, इसलिए उसे चोरी करने पर ग्लानि हुई। उसने न केवल चोरी किया टीवी वापस उनके घर छोड़ा और एक माफीनामे का नोट लिखा- ‘मुझे मालूम नहीं था कि यह महान कवि नारायण सुर्वे का घर है। मालूम होता, तो चोरी नहीं करता। मैं एक-एक कर सारा सामान लौटा रहा हूं। घटना रविवार को रायगड़ के नेरल में हुई। नेरल स्टेशन के पास ही सोसायटी है ‘स्वानंद’। यहीं रहती हैं नारायण सुर्वे की बेटी सुजाता गणेश घारे। अपने आखिरी दिनों में नारायण सुर्वे उनके साथ ही थे। सुजाता ने कहा वह पिछले दस दिन से बेटे के घर विरार में थीं। मेरी बाई ने मुझे चोरी के बारे में बताया। मैं हैरान हूं। मुझे अपने कवि पिता के इस सामर्थ्य पर गर्व की अनुभूति हो रही है। पुलिस इस अनूठी चोरी की जांच कर रही है। बता दें नारायण सुर्वे का नाम मराठी के शीर्षस्थ कवियों में शुमार है। ‘ऐसा गा मी ब्रह्म’, ‘माझे विद्यापीठ’, ‘जाहीरनामा’, ‘सनद’ और ‘नव्या माणसाचे आगमन’ उनकी प्रसिद्ध कृतियां हैं। उन्हें पद्मश्री, सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड, कबीर सम्मान, साहित्य अकादमी सम्मान मिले हैं। कुसुमाग्रज, विंदा करंदीकर, केशवसुत के अलावा जिस मराठी कवि को हिंदी में खूब पढ़ा गया है, सुर्वे प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने कई मजदूर संगठनों के लिए काम किया। 83 साल में लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त 2010 को नेरल में उनका निधन हो गया था। सिराज/ईएमएस 17जुलाई24