ज़रा हटके
10-Jul-2024
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- हो सकता जान का खतरा भी नई दिल्ली (ईएमएस)। जब किसी को अचानक पसीना आता है तो उसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। अचानक से पसीना आना हार्ट संबंधित गंभीर बीमारी का भी लक्षण हो सकता है। अगर समय पर ध्यान नहीं दिया जाए तो जान का खतरा भी हो सकता है। लेकिन सही समय पर डॉक्टर को इस बारे में बताया जाए तो यह खतरा टल भी सकता है। अचानक पसीना आना हार्ट संबंधित कौन सी बीमारी का संकेत है यह भी जान लीजिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हेल्थ एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि सामान्य से अधिक और अचानक पसीना आना भी हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है। लेकिन जब कोई एक्सरसाइज न कर रहा हो और अधिक गर्मी नहीं पड़ रही हो, यह पसीना उस समय आना चाहिए। दरअसल, जब किसी को हार्ट अटैक आता है तो उस दौरान कोरोनरी धमनियां हार्ट तक खून अच्छे से पंप नहीं कर पातीं लेकिन हार्ट अटैक के समय हार्ट को अधिक खून की जरूरत होती है और फिर धमनियों को हार्ट तक खून पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करनी होती है। ऐसे में शरीर का तापमान कंट्रोल रखने के लिए अधिक पसीना आने लगता है।हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा काफी सीरियस मेडिकल कंडिशन होती है। इसमें इंसान को संभलने का भी मौका नहीं मिलता और जान तक चली जाती है। कोरोनरी धमनियां हार्ट तक खून पहुंचाने का काम करती हैं और एनर्जी और ऑक्सीजन के जरिए इसे जिंदा रखती हैं। कोरोनरी धमनी की बीमारी में ह्रदय की मांसपेशियों में खून ठीक से नहीं पहुंच पाता और इसकी वजह से हार्ट अटैक आ जाता है। दिल का दौरा पड़ने से ह्रदय की धड़कन रुक सकती है, जिसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं।महिलाओं को अगर रात में अधिक पसीना आता है तो वह हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है। मेनोपॉज के दौरान रात में पसीना आना, गर्मी में पसीना आना आम बात है लेकिन अगर इसके अलावा अधिक पसीना आता है तो सावधान होने की जरूरत है। ड्रग्स डॉट कॉम के मुताबिक, पसीना एथेरोस्क्लेरोसिस से भी जुड़ा हो सकता है जो एक ऐसी स्थिति है जिसमें धमनियों में प्लाक नामक फैट जमा होने से वे सिकुड़ जाती हैं। एथेरोस्क्लेरोसिस हार्ट अटैक और हार्ट फेल का कारण बन सकता है। जब अत्यधिक पसीना आने के कारण गंभीर स्थिति के कारण हार्ट अटैक आता है तो इसे सेकेंडरी हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। हालांकि पसीना आना एक नॉर्मल स्थिति भी होती है जिसमें शरीर खुद को ठंडा करता है। स्टडी के मुताबिक, जिन मेडिरल कंडिशन के कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है उनके कारण डिमेंशिया का खतरा भी बढ़ सकता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और द यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के एक्सपर्ट द्वारा की हुई स्टडी के मुताबिक, हार्ट से संबंधित बीमारियों और डिमेंशिया के बीच हुई ये सबसे बड़ी स्टडी है। यह स्टडी द लैंसेट हेल्दी लॉन्गविटी पेपर में पब्लिश हुई थी। इस स्टडी में यूके बायोबैंक में शामिल 60 या उससे अधिक उम्र के 2 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे। विशेषज्ञों ने स्टडी से निष्कर्ष निकाला, स्ट्रोक या दिल के दौरे जैसी स्थितियों वाले लोगों में डिमेंशिया का 6खतरा तीन गुना अधिक होता है। बता दें कि गर्मी में या मेहनत वाला काम करने पर पसीना आना आम बात है। कुछ लोगों को हर मौसम में पसीना आता है तो कुछ को अधिक गर्मी पड़ने पर ही पसीना आता है। सुदामा/ईएमएस 10 जुलाई 2024