राज्य
13-Jun-2024
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भोपाल (ईएमएस)। सोम डिस्टिलरीज को लेकर मध्य प्रदेश सरकार की जमकर किरकिरी हो रही हैं। दरअसल तेलंगाना सरकार ने शराब कंपनी के खिलाफ आरोपों के बाद सोम डिस्टिलरीज और ब्रुअरीज के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया है। सोम डिस्टलरी पर मध्यप्रदेश में भी अवैध शराब बिक्री, जीएसटी चोरी सहित अनेक आरोप लगे हैं। इसके साथ ही सोम पर सरकार का 583 करोड़ रुपये बकाया हैं। इसके बाबजूद सोम मध्यप्रदेश में अपना काला साम्राज्य फैलाती जा रही हैं। आरोपों के बाद तेलंगाना सरकार तो जाग गई हैं अब मध्यप्रदेश सरकार कब जागेगी। बकाया राशि जमा न करने और टैक्स चोरी के मामलों के साथ देशी-विदेशी मदिरा मिस ब्रांडेड पाए जाने की शिकायतों के बाद सोम डिस्टलरीज का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था। सूत्र बताते हैं कि ब्लैक लिस्टेड होने के बाद सोम ने सेल कंपनियों के माध्यम से प्रदेश में अपना साम्राज्य फैला रखा हैं। सोम के मालिक जगदीश अरोरा जेल की हवा खाने के बाद भी लोगों को अपना पार्टनर बनाकर करोड़ो रुपये की धोखाधड़ी कर रहे हैं। कुछ दिन पहले अरोरा के पार्टनर राधेश्याम सेन सुसाइड भी कर चुके हैं। सुसाइड से पहले सेन ने वीडियो बनाकर सोम डिस्टिलरीज के संचालक अरोरा बंधुओं पर पैसे नहीं देने और कर्ज में डूब होने की बात कही थी। सोम के रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हैं कि करोड़ो की बकाया राशि पार्टनर के साथ धोखाधड़ी के पर्याप्त सबूत होने के बाद भी सरकार अरोरा बंधुओं पर कोई कार्रवाही नहीं कर पा रही हैं। -तेलंगाना में नहीं लगेगा बीयर प्लांट मध्यप्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गोवा समेत आधे भारत में अपने काले साम्राज्य को फैलाने के बाद अब सोम डिस्टलरीज के संचालक जगदीश अरोरा दक्षिण भारत मे भी शराब का सिंडिकेट खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे। इसके लिए सोम डिस्टलरीज तेलंगाना में बीयर प्लांट लगाने की तैयारी कर रही थी। इस बीच तेलंगाना सरकार ने सोम डिस्टिलरीज की राज्य में शराब बेचने की अनुमति रद्द कर दी हैं। बीआरएस ने सोम डिस्टिलरीज को राज्य में शराब बेचने की अनुमति रद्द करने के तेलंगाना सरकार के फैसले का स्वागत किया है और शराब लाइसेंस जारी करने की कार्यप्रणाली की जांच की मांग की है। बीआरएस नेता और इसके सोशल मीडिया विंग के संयोजक मन्ने कृष्णक ने कहा कि मध्य प्रदेश में सोम डिस्टिलरीज द्वारा बनाई गई शराब के सेवन से हुई मौतों को याद करते हुए कहा कि शराब बनाने वाली कंपनी को अनुमति देने के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान की जानी चाहिए, क्योंकि यह लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ था। मन्ने कृष्णक ने कहा कि ईडी और सीबीआई ने दिल्ली शराब नीति के मुद्दे की जांच करने में तो तत्परता दिखाई थी लेकिन सोम डिस्टिलरीज के तेलंगाना में प्रवेश और बाद में अनुमति वापस लेने पर चुप क्यों रहीं और मामले दर्ज क्यों नहीं किए?