भोपाल (ईएमएस)। अपने अंदर मानवता को प्रतिस्थापित करना ही धर्म का मूल लक्ष्य है। मानव जीवन परस्पर दया, करुणा, प्रेम पर आधारित है। यह उद्गार नंदीश्वर जिनालय में आचार्य विनम्र सागर महाराज ने व्यक्त करते हुए कहा, यही मानव के मूल गुण होते हैं। मनुष्य को विनम्र होना अत्यंत आवश्यक है। जीवन की जटिलता छल कपट से होती है, और सरलता अंतःकरण में निर्मल मन से होती है। जीवन को जैसा बनाना है, वैसा बना सकते हैं, यह हमारे ऊपर है। हमारी प्रति दिन की क्रियाएं ही कर्म को गति शील करती हैं1 प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया धर्म सभा के पूर्व आचार्य विद्यासागर महाराजद्व आचार्य विराग सागर महाराजद्व आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रचलन किया गया। आचार्य संघ के कर कमलों मे शास्त्र भेट किए। नंदीश्वर जिनालय समिति के अध्यक्ष एडवोकेट विजय चौधरी के नेतृत्व में चातुर्मास हेतु अचार्य संघ को श्रीफल भेंट किया। इस अवसर पर प्रमोद चौधरी एडवोकेट, पंकज इंजीनियर, डॉ सर्वज्ञ जैन, विवेक चौधरी, राजीव गेहूं,नील चौधरी,राकेश सलामतपुर, मनोज बबलू,सोनू भाभा, निर्मल जैन मुनीम, शीलचंद लचकिया, सुनील पब्लिशर,इंजीनियर सौरभ जैन, संतोष जैन, पदम जैन, पुष्पेंद्र जैन, राकेश मामा, आलोक जैन, पंकज जैन, जीतू सिलवानी आदि मौजूद थे हरि प्रसाद पाल / 12 जून, 2024