नारी माता अस्ति नारी कन्या अस्ति नारी भगिनी अस्ति नारी ही माँ है, नारी ही पुत्री है, नारी ही बहन है, नारी ही सब कुछ है। नारी मानव समाज का अभिन्न अंग है, जिसमें शक्ति, संवेदनशीलता और करुणा का अद्वितीय संगम होता है। भारतीय संस्कृति में नारी को देवी के रूप में पूजा जाता है, जो उसके महत्व और सम्मान को दर्शाता है। वह समाज की धुरी है, जो परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कहा भी गया है - नारी बीज उगात है, नारी धरती रूप, नारी जग सृजित करे, धर-धर रूप अनूप। नारी जीवन से भरी, नारी वृक्ष समान, जीवन का पालन करे, नारी है भगवान। मानवीय जीवन की सृजना हो या फिर जीवनातीत की कल्पना; इसका प्रारंभ और अंत नारी से ही होता है। आज एक ओर जहाँ नारी के गौरव के लिए पुरुष प्रधान समाज ने अपने अहं से ऊपर उठकर स्त्री को शक्ति और साधनों से परिपूर्ण करने के लिए नए नए कानून और अवसरों को प्रदान किया है वहीं दूसरी ओर नारी स्वयं के लिए महत्वाकांक्षाओं से भरा हुआ एक संसार भी बुना है। हम यह एक बात बहुत स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं कि नारी जब गृहस्वामिनी बनकर घर को स्वर्ग , समाज को जन्नत और देश को उन्नत बना सकती है तो वहीं दूसरी ओर नारी उद्यमियता की कदम बढाके नए परचम स्थापित कर सकती है। कहा भी गया है - नारी से परिवार है, नारी से संसार । नारी जग का मूल है, जीवन का आधार ।। नारी की शक्ति - नारी को प्राचीन काल से ही शक्ति का प्रतीक माना गया है। वह शक्ति की देवी दुर्गा, काली और सरस्वती के रूप में पूजित होती है। नारी में अद्वितीय धैर्य, सहनशीलता और साहस होता है, जिससे वह कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकती है। चाहे वह अपने परिवार की सुरक्षा हो या समाज की भलाई के लिए संघर्ष, नारी हर चुनौती को स्वीकार करती है और उसे पार करती है। धैर्य और सहनशीलता: - नारी में अद्वितीय धैर्य होता है। वह परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य बनाए रखने और कठिन परिस्थितियों में धैर्यपूर्वक सामना करने में सक्षम होती है। उसकी सहनशीलता उसे मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बनाती है। साहस और संघर्ष: नारी में अद्वितीय साहस होता है। वह समाज की बुराइयों के खिलाफ लड़ने के लिए हमेशा तैयार रहती है। चाहे वह दहेज प्रथा हो, बाल विवाह हो या घरेलू हिंसा, नारी ने हर मोर्चे पर अपनी शक्ति का परिचय दिया है। नारी की संवेदनशीलता - नारी की संवेदनशीलता उसकी सबसे बड़ी ताकत है। वह अपने परिवार के सदस्यों के मनोभावों को समझती है और उनकी भावनाओं का सम्मान करती है। उसकी संवेदनशीलता उसे एक अच्छे माँ, पत्नी, बेटी, और मित्र के रूप में उभरने में मदद करती है। माँ का रूप: - एक माँ के रूप में नारी का संवेदनशीलता का परिचय मिलता है। वह अपने बच्चों की खुशियों और दुखों को समझती है और उन्हें सही मार्गदर्शन देती है। माँ का प्यार और देखभाल बच्चों के जीवन में स्थायित्व और सुरक्षा का अनुभव कराता है। पत्नी का रूप: - एक पत्नी के रूप में नारी अपने पति के साथ जीवन की हर चुनौती को साझा करती है। वह अपने पति की सहचरी और जीवनसंगिनी होती है, जो परिवार को एक सूत्र में बांधकर रखती है। समाज में नारी की भूमिका - नारी की भूमिका समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वह परिवार की धुरी है और समाज की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देती है। नारी शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान, कला, और विभिन्न पेशेवर क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही है। उसकी क्षमता और प्रतिभा ने उसे समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है। 1.शिक्षा और ज्ञान: नारी ने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह शिक्षक, वैज्ञानिक, लेखक और विद्वान के रूप में समाज को ज्ञान का प्रकाश प्रदान कर रही है। 2.स्वास्थ्य और चिकित्सा: नारी ने स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वह डॉक्टर, नर्स और चिकित्सा विशेषज्ञ के रूप में समाज की सेवा कर रही है। 3.प्रशासन और नेतृत्व: नारी ने प्रशासन और नेतृत्व के क्षेत्र में भी अपनी क्षमता को साबित किया है। वह राजनेता, प्रशासक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में समाज का नेतृत्व कर रही है। महिला उद्यमिता: अवसर और चुनौतियाँ - नारी अस्य समाजस्य कुशलवास्तुकारा अस्ति। महिलाएं समाज की आदर्श शिल्पकार होती हैं। महिला उद्यमिता के लिए अवसर और चुनौतियाँ एक साथ मिलकर साहस और समर्थन का मार्मिक संगम हैं। जिस समय में हम देख रहे हैं कि समाज में स्त्रीशक्ति की मान्यता बढ़ रही है, महिला उद्यमिता अपने साहसिक प्रयासों से साबित कर रही है कि वह किसी भी क्षेत्र में अग्रणी बन सकती है। अब बात करेंगे अवसरों की, तो नए विचार, समर्थन, सामाजिक परिवर्तन, और नेटवर्किंग के साथ महिलाओं को उद्यमिता में आगे बढ़ने के लिए अद्वितीय अवसर मिल रहे हैं। इससे नए और नए उद्यमिताओं को अपनी पहचान बनाने का सामर्थ्य मिल रहा है और समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है। हालांकि, इसके साथ ही हमें कई चुनौतियों का सामना करना भी पड़ता है। वित्तीय समस्याएं, सामाजिक प्रतिष्ठा की कमी, उत्पादों की मान्यता, और परिवारिक दबाव जैसी चुनौतियों से लड़ती हुई महिलाएं अपनी सीमाओं को पार करने के लिए प्रेरित हो रही हैं। इसका अर्थ यह है कि आने वाले समय में हम महिला उद्यमिता की बढ़ती हुई भूमिका और उनकी सकारात्मक संभावनाओं को देखेंगे। महिलाएं अपने उद्यमिता में सफलता प्राप्त करने के लिए साहस, संघर्ष, और स्वतंत्रता के साथ आगे बढ़ेंगी और समाज को नए मानकों की दिशा में एक नया मापदंड प्रदान करेंगी। इसके साथ ही, सरकारें भी महिला उद्यमिता को समर्थन प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाओं को शुरू कर रही हैं। उनमें से कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं शामिल हैं: 1. राजस्थान राज्य औद्योगिक नीति: यह नीति जयपुर में स्वतंत्र उद्यमिता और प्रबंधन विकास संस्थान की स्थापना करने के साथ-साथ, महिला उद्यमिताओं को उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में सहायता प्रदान करती है। इस विभाग ने SC/ST और महिलाओं जैसे अंतरसेवामूलक समूहों के उद्यमियों की मदद की है। इसमें कार्यस्थल में महिलाओं की भागीदारी के लिए विशेष प्रावधान है। इसका मुख्य ध्यान उद्यमिता को वस्त्र बुटीक उद्योग में महिलाओं को बढ़ावा देने पर होगा। 2. भामाशाह योजना: इस योजना के अंतर्गत, हर परिवार को एक खाता प्रदान किया जाता है जिसमें उनकी सभी सरकारी लाभार्थी योजनाएं शामिल होती हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी भत्ता, आदि। 3. देना शक्ति योजना: देना शक्ति योजना, जिसे बैंक ने स्थापित किया है। इस योजना के अंतर्गत, महिला उद्यमिताओं को व्यापारिक ऋण के लिए आवेदन करने का सुयोग प्रदान किया जाता है। जो महिलाएं व्यापार शुरू करना चाहती हैं या मौजूदा व्यापार को बढ़ाना चाहती हैं, वे इस योजना के माध्यम से ऋण के लिए आवेदन कर सकती हैं। 4. ओरिएंटल महिला योजनाएँ: ओरिएंटल बैंक द्वारा संचालित इस योजना के अंतर्गत, महिलाओं को विशेष छूट और आराम सहित कई लाभ प्रदान किए जाते हैं। इस योजना में केवल महिलाएं शामिल हैं, और उन्हें 51 प्रतिशत हिस्सा हासिल करने का अधिकार है। महिला कर्जदाताएं इस कार्यक्रम के माध्यम से तकरीबन 25% ब्याज दर की कमी प्राप्त कर सकती हैं। एसएसआई (स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज) ऋणों के लिए रुपये 10 लाख से शुरू होकर रुपये 25 लाख तक के लिए कोई सुरक्षा आवश्यक नहीं है। पुनर्भुगतान की अवधि 7 वर्षों के भीतर है। इसके तहत महिला उद्यमिता को 2% ऋण ब्याज दर की छूट भी प्रदान की जाती है। महिला उद्यमिता को सामने आने वाली कुछ मुख्य चुनौतियों का संक्षिप्त विवरण है: - 1. वित्तीय कठिनाइयाँ: अक्सर महिला उद्यमिताओं को आरंभिक धन की कमी होती है, जिससे उन्हें वित्तीय समर्थन प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। 2. सामाजिक प्रतिष्ठा और उत्साह की कमी: कई महिलाएं सामाजिक और परंपरागत रूप से जुड़ी समस्याओं का सामना करती हैं, जो उन्हें उत्साहित होने में कठिनाई उत्पन्न कर सकती है। 3. पुरानी सोच और व्यावसायिक परंपराएं: कई बार महिलाएं पुरानी सोच और व्यावसायिक परंपराओं का सामना करती हैं, जो उन्हें अद्यतित तकनीक और विकसित विचारधारा से दूर रख सकती है। 4. परिवार के साथ संतुलन: महिलाओं को अक्सर परिवार के और सामाजिक दायित्वों को संतुलित रखने में कठिनाई होती है, जिससे उन्हें अपने व्यापार को पूरा करने में चुनौती हो सकती है। 5. तकनीकी ज्ञान की कमी: विशेषकर नए और तकनीकी क्षेत्रों में, महिलाओं को तकनीकी ज्ञान की कमी हो सकती है, जिससे वे उद्यमिता में आगे बढ़ने में कठिनाई महसूस कर सकती है। इन चुनौतियों का सामना करती हुई, समाज को महिलाओं के उद्यमिता को समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करना आवश्यक है, ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और खुद को सशक्त बनाने में सफल हो सकें। निष्कर्ष - नारी शक्ति और संवेदनशीलता का अद्वितीय संगम है। उसकी शक्ति और संवेदनशीलता ने उसे समाज का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बना दिया है। वह अपने परिवार और समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है और हर चुनौती का सामना कर उसे पार करती है। नारी का सम्मान और उसकी शक्ति का आदर करना हम सभी का कर्तव्य है। समाज के विकास और प्रगति के लिए नारी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है, और उसे समान अवसर और सम्मान प्रदान करना हमारी जिम्मेदारी है। संस्कृत कवियों का हम परम उपकार मानते हैं जिन्होंने ऐसे श्लोकों की रचना की है, जिनमें नारी के गौरव महान और उत्कृष्ट कहा है - यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।। जिस परिवार में स्त्री की पूजा की जाती है, अर्थात् दैवीय गुण, दैवीय सुख और उत्तम संतान होती है और जिस परिवार में स्त्री की पूजा नहीं होती है, वह जानता है कि उसके सभी कार्य निष्फल हैं। स्त्री केवल जननी ही नहीं है, वह कर्मठता की ऐसी जीवन्त प्रतिमा है, जो निराशा को आशा और पतन को उत्थान में बदल देती है। आईए! आप और हम, दोनों मिलकर नारी शक्ति को शक्ति समृद्ध करने में अपना योगदान दें, देश, समाज, परिवार और स्वयं को उन्नत बनाने में उसका भरपूर योगदान लें और सुख-समृद्धि और आनंद के उत्सव में हम सब मिलकर एक साथ आनंदित हो। …/29 मई 2024