लेख
02-Apr-2024
...


कोई भी समाज तभी समृद्ध बन सकता है, जब इसकी युवा पीढ़ी स्वस्थ एवं सुंदर हो। यह स्वस्थता एवं सुंदरता केवल शरीर से ही नहीं, अपितु विचारों में भी झलकनी चाहिए। यह युवा शक्ति ही किसी प्रदेश या देश का आने वाला कल निर्धारित करती है। जिस तरह एक बीज में पूरे पौधे अथवा पेड़ की संरचना, रंग-रूप, फल इत्यादि सब निहित होता है, उसी तरह युवा पीढ़ी समाज का बीज है। बीज अच्छा हो और उसका रोपण एवं पालन-पोषण अच्छा हो, तभी वह फलदार वृक्ष बनता है। इसी तरह यदि हमारी युवा पीढ़ी अच्छे वातावरण में पले-बढ़े, तो हम एक समृद्ध प्रदेश एवं खुशहाल राष्ट्र का निर्माण करने में सफल हो सकते हैं। इसके बावजूद हम आजकल एक भयाभह बीमारी के रूप में सुनते, पढ़ते और देखते हैं और वह है, मादक पदार्थों का प्रचलन। नशाखोरी केवल कानून व्यवस्था का ही विषय नहीं है,वरन शिक्षा व्यवस्था, रहन-सहन, पारिवारिक वातावरण, बच्चों की परवरिश एवं अन्य मनोरंजन सुविधाएं आदि इसको प्रभावित करते हैं। शराब, सिगरेट, भांग, चरस, हेरोइन, तंबाकू, चिट्टा इत्यादि हमारी युवा पीढ़ी की नसों में जहर घोल रहा है। एक सर्वेक्षण के अनुसार देश के करीब 45 फीसदी नौजवानों को नशे की लत लग गई है। नशा मुक्त भारत आंदोलन की पंजाब इकाई द्वारा अमृतसर के रतन सिंह चौक, आबादी करमपुरा में नशा मुक्त भारत आंदोलन की राष्ट्रीय संयोजक, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की अध्यक्षता में तथा कर्नाटक विधानसभा के पूर्व उप-सभापति एवं विधायक बी आर पाटिल, भाकियू (उग्रहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्रहां, मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक एवं किसान संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ सुनीलम की विशेष उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा नशा मुक्ति के संदेश के साथ हुई। सभी धर्म गुरुओं ने बताया कि उनके धर्म में नशा करना निषेध है इसके बावजूद भी नशे का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सभी ने गांधी जी का उल्लेख करते हुए कहा कि शराब के सेवन से मनुष्य के शरीर और बुद्धि के साथ-साथ आत्मा का भी नाश हो जाता है। शराबी अनेक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है। नशा मुक्त भारत आंदोलन के राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्र सरकार एवं पंजाब सरकार से कानूनी तौर पर नशाबंदी लागू करने, सभी तरह के नशे का उत्पादन करने वाले केंद्रों को बंद करने, सभी स्कूलों और कॉलेजों में डोप टेस्ट केंद्र खोलने, युवाओं को रोजगार ,की कानूनी गारंटी देने, केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को नशा करते या नशा किए हुए पाए जाने पर तत्काल निलंबित किए जाने का कानूनी प्रावधान करने, 10 हजार की आबादी पर एक नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र खोलने, नशा करने वालों को मरीज मानकर निःशुल्क इलाज करने, शराब की दुकान बंद करने के लिए 50% महिलाओं के द्वारा लिखित आपत्ति करने के प्रावधान को कानूनी तौर पर लागू करने, अवैध शराब बिक्री करने वाले को जमानत देने के कड़े प्रावधान करने, नशीले पदार्थों की तीन बार बिक्री करने पर पकड़े जाने वाले को जिला बदर करने , नशा से मरने वालों के परिजन को 10 लाख का मुआवजा देने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि सरकारें राजस्व जुटाने की आड़ में नशा बिक्री एवं उत्पादन करने की बजाय देश की 500 सबसे बड़ी कंपनियों पर 50% टैक्स लगाने और स्कूल कॉलेज के पाठ्यक्रम में नशाबंदी विषय अनिवार्य तौर पर जोड़े जाने का प्रावधान करें। सम्मेलन में लिए गए उक्त प्रस्तावों को सरकारों को भेजने का निर्णय लिया गया तथा सभी चुनाव लड़ने वाली पार्टियों से इन मुद्दों को मेनिफेस्टो में शामिल करने की मांग की गई। नशा मुक्त भारत आंदोलन के पंजाब प्रांत के संयोजक एड.अंकुर गुप्ता ने सम्मेलन में आए सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि जब वे डी ए व्ही कॉलेज के अध्यक्ष थे तभी उन्होंने पंजाब को नशा मुक्त बनाने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा कि युवाओं की ऊर्जा को षडयंत्र पूर्वक बर्बाद कर पंजाब को कमजोर किया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान मेधा पाटकर ने स्वयं नशा न करने तथा अपने सामने किसी को भी नशा नहीं करने देने तथा हर तरह के नशे से मुक्त रहने का संकल्प सम्मेलन में आए हजारों अमृतसर वासियों को दिलाया। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि नशा तो कई चीजों का होता है, लेकिन जीवन को बर्बाद करने वाले और दूसरों पर खास कर महिलाओं पर हिंसा और अत्याचार करने वाला नशा शराब और ड्रग्स का होता है। उन्होंने कहा कि नशा का व्यापार और उससे कमाई करने का अधर्म सत्ताधीश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शराब के व्यापारी और राजनीति में गठजोड़ है इसलिए गुजरात के साथ-साथ और 5- 6 राज्यों में शराब बंदी का कानून है लेकिन पंजाब जैसे राज्यों में क्यों नहीं? जबकि संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार शराबबंदी हर शासन की जिम्मेदारी और कर्तव्य है। इसलिए हम पंजाब को नशा मुक्त करने के साथ-साथ भारत को नशा मुक्त करना चाहते हैं। कर्नाटक के विधायक बी आर पाटिल ने कहा कि शराब माफिया अनेक राज्यों में राजनीतिक दलों और सरकारों पर हावी हो गया है। उन्होंने कहा कि शराब एवं नशीले पदार्थों की खरीद और नशीले पदार्थों की खेती और बिक्री से जो राजस्व प्राप्त हो रहा है, उसे गांधी जी ने पाप की कमाई कहा था। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए शराब का इस्तेमाल न करें। केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पूरे देशभर में नशा मुक्ति को लेकर सभी राष्ट्रीय पार्टियां अपने मेनिफेस्टो में इसे प्रमुखता से स्थान दें। प्रख्यात किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्रहां ने कहा कि देश का युवा नशा नहीं, रोजगार की कानूनी गारंटी चाहता है। उन्होंने कहा कि सोच समझकर ड्रग्स का कारोबार का जाल गांव गांव में फैलाया जा रहा है ताकि युवा पीढ़ी का करियर उनकी ऊर्जा को पूरी तरह बर्बाद किया जा सके। नशा कोई भी हो उसकी सर्वाधिक पीड़ा महिलाओं को होती है। डॉ सुनीलम ने कहा कि गुजरात के मुंद्रा में अडानी का बंदरगाह ड्रग्स के कारोबार का केंद्र बन गया है। 31 जनवरी 2023 तक दो साल में मुंद्रा में अडानी के बंदरगाह से 375.50 करोड़ रुपए की 75 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई तथा सितंबर 2021 में राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), एक केंद्रीय एजेंसी ने मुंद्रा बंदरगाह पर दो कंटेनरों से लगभग 3,000 किलोग्राम हेरोइन जब्त की थी, इसकी कीमत लगभग 21,000 करोड़ रुपए थी। लेकिन बंदरगाह के मालिक अडानी, प्रशासकों, सुरक्षा अधिकारियों को सरकार का अभयदान प्राप्त है। डॉ. सुनीलम ने कहा कि चुनाव में तमाम दावों के बावजूद शराब बांटने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि नशे में मतदान करने वाले मतदाता कभी सही उम्मीदवार का चयन नहीं कर सकता। डॉ. सुनीलम ने कहा कि अत्यधिक नशे के सेवन से हर वर्ष 10 लाख से अधिक भारतीयों की मौत हो रही है लेकिन सरकारें राजस्व कमाने के लिए अपने ही देश के नागरिकों की संस्थागत हत्याओं का कारण बन रही है। डॉ सुनीलम ने देश के 500 सर्वाधिक अमीर पूंजीपतियों और कॉर्पोरेट पर 50% टैक्स लगाकर, केंद्र सरकार से देश में शराबबंदी लागू करने की मांग की। किसान संघर्ष समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुशीला ताई मोराळे ने कहा कि देश में 37 करोड़ लोग नशे से प्रभावित है। इसके साथ ही नशा करने वालों में शराब पीने वालों की संख्या 16 करोड़ तक पहुंच गई है। शराब पीने वालों में 19 प्रतिशत (लगभग 3 करोड़) ऐसे हैं जो शराब के बिना रह नहीं पाते। 2.26 करोड़ लोग यानी कुल आबादी का 2.1 प्रतिशत अफीम, उसके डोडे, हेरोइन, स्मैक और ब्राउन शुगर जैसी ड्रग्स के शिकंजे में फंस चुके हैं। उन्होंने कहा कि नशे से पीड़ित समाज कभी भी विश्व गुरु नहीं बन सकता। नशा मुक्त भारत आंदोलन की म.प्र. राज्य संयोजक एड. आराधना भार्गव ने कहा कि देश में नशे के चलते 80 % से ज्यादा महिला हिंसा और दुर्घटनाएं होती है। उन्होंने महिलाओं को प्रतिमाह कुछ राशि दिए जाने की जगह देश में शराबबंदी लागू करने की मांग की ताकि महिलाएं सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। ग्राम रक्षक दल की अध्यक्ष माया ताई चौरे ने कहा कि ग्रामीण महिलाएं दारू बंदी करने के लिए कई दशकों से आंदोलन चला रही है लेकिन सरकारें महिलाओं की बात सुनने की बजाय शराब माफियाओं के साथ खड़ी दिखलाई देती है। सरकार रोजगार न देने की अपनी विफलता को छुपाने के लिए नशाखोरी को बढ़ावा दे रही है। खुदाई खिदमतगार के संयोजक फै़ज़ल खान ने कहा कि इस्लाम में शराब को हराम बतलाया गया है। उन्होंने कहा कि पूरे समाज में नशाखोरी बढ़ने के कारण तेजी से बेरोजगारी बढ़ी है। पंजाब सहित देश भर में नशे का टारगेट युवा ही होते हैं। शराब से पूरा घर बर्बाद होता है। परिवार का हर तरह से आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, शारीरिक नुकसान होता है। पंजाब इसका एक जीता जागता उदाहरण है। डॉ सुखजोत सिंह ने कहा कि पंजाब ने खेती को लेकर जो रास्ता दिखाया है वह नशामुक्ति को लेकर भी देश को रास्ता दिखलाएगा। दिल्ली के जन जागरण सामाजिक संगठन के शशि भूषण ने कहा कि जो जितना गरीब है, उस पर शराब एवं अन्य नशे पर किए जाने वाले खर्च का उतना अधिक असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि बाबा साहब नशाखोरी के खिलाफ थे इसलिए संविधान में नशे का व्यापार करने पर रोक लगाई गई परंतु सरकारें संविधान के खिलाफ जाकर शराब की अधिक से अधिक बिक्री कराती है। दिल्ली से वरिष्ठ पत्रकार एवं नशा मुक्ति आंदोलन के सुशील खन्ना ने संबोधित किया। उन्होंने कहा मैंने अपने बेटे को खोया है। मैं नहीं चाहता कि किसी दूसरे का बेटा नशे का शिकार बने। सम्मेलन को हसन कर्नाटक के पूर्व विधायक एच एम विश्वनाथ ने कहा कि देश को मजबूत बनाने के लिए नशामुक्ति आवश्यक है। समाज में कुंठा और निराशा बढ़ रही है इस कारण भी नशा बढ़ रहा है। दारू मुक्ति आंदोलन एवं दिल्ली महिला मोर्चा की अध्यक्ष विनीता, मानव एकता संवाद उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंदर भगत, ऑल इंडिया पिंगलवाड़ा चैरिटेबल सोसायटी की कार्यकारी अध्यक्ष डॉ इंदरजीत कौर, महाराष्ट्र के अकोला दारू मुक्ति आंदोलन के भाई रजनीकांत, दिल्ली से दिल्ली नशाबंदी समिति के महामंत्री राकेश कुमार, सीधी, मध्यप्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता निसार आलम अंसारी, सर्वोदय मंडल नासिक की अध्यक्ष बेबी वाइकर ने सम्मेलन को संबोधित किया। ईएमएस / 02 अप्रैल 24