सैन फ्रांसिस्को(ईएमएस)। ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी (अमेरिका) में पृथ्वी विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डेरेक सॉयर और उनके सहयोगियों ने टाइरेनियन सागर तलहटी की परतों की हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें खिंचीं थीं। उन्होंने चार मेगाबेड की एक श्रृंखला की खोज की। इसमें प्रत्येक की मोटाई 33 और 82 फीट (10 से 25 मीटर) के बीच था। इनकी एक और विशेषता थी कि प्रत्येक तलछट की परतें अलग-अलग थीं। सभी की परतें से अलग-अलग मटेरियल से बने थे। वैज्ञानिकों ने भूमध्यसागर के तल पर हजारों साल पुरानी ज्वालामुखी विस्फोटों से बने मेगाबेड की खोज की है। ये मेगाबेड इन क्षेत्रों में कुछ हज़ार सालों के अंतराल पर पिछले कई हाजार सालों से आ रहे विनाशकारी घटनाओं के प्रमाण दिखाते हैं। ये मेगाबेड्स कई हजार सालों से ज्वालामुखी विस्फोट जैसी विनाशकारी प्रकृति की घटनाओं की वजह से समुद्री घाटियों या तलों पर जमे पदार्थ है। ये मेगाबेड शोधकर्ताओं को टाइरेनियन सागर के तल में ज्वालामुखी के करीब, सेडिमेंट्स की जांच करते समय मिले। टाइरेनियन सागर इटली के पश्चिमी तट पर भूमध्य सागर का ही भाग है। इससे पहले वैज्ञानिकों के टाइरेनियन सागर के तलछट ज्वालामुखीय जमाव का शोध से पता चला था। समुद्र के नीचे कुछ रहस्यमयी चीज छिपा हुआ है, लेकिन हाल के एक जर्नल जियोलॉजी में नया शोध प्रकाशित हुआ था जिसमें इसके हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें दिखाई दीं। जियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, सबसे पुरानी परत लगभग 40 हजार साल पुरानी थी। उसके बाद वाली परत 32 हजार साल पुरानी और तीसरी 18 हजार साल पुरानी थी। सबसे युवा तलछट कोर का निर्माण लगभग 8 हजार वर्ष पहले हुआ था। जियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, शोधकर्ताओं की टीम ने मेगाबेडों के स्रोत का पता लगाने के लिए पहले से ज्ञात ज्वालामुखीय क्षेत्र का अध्ययन किया। जिस क्षेत्र में बिस्तरों का निर्माण हुआ है वह ज्वालामुखी रूप से काफी सक्रिय है और इसमें कैंपी फ्लेग्रेई सुपरवॉल्केनो भी शामिल है, जो हाल मे ही विस्फोट हुआ था। वीरेन्द्र/ईएमएस 19 नवंबर 2023