मनोरंजन
24-Sep-2023
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-बालीवुड उदयोग में नई जान फूंकने में रही कामयाब मुंबई (ईएमएस) । दशकों के अपने करियर के साथ खुद को हिंदी सिनेमा के सच्चे दूरदर्शी के रूप में मजबूती से स्थापित करने में संजय लीला भंसाली कामयाब रहे हैं। उनकी मॉडर्न डे क्लासिक, गंगूबाई काठियावाड़ी इसका एक और रूप है। कोविड-19 महामारी के चलते हिंदी फिल्म उद्योग अनिश्चितता और भारी चुनौतियों से जूझ रहा था। थिएटर बंद हो गए, प्रोडक्शन रुक गया और फिल्म इंडस्ट्री जो कभी लाखों लोगों के लिए खुशी और मनोरंजन का सोर्स थी, उसे अपने सबसे बुरे समय का सामना करना पड़ा। इस निराशा भरे दौर में गंगूबाई काठियावाड़ी आशा की चमकती किरण बनकर उभरी। जी हां संजय लीला भंसाली की गंगूबाई काठियावाड़ी महज एक फिल्म नहीं थी, यह एक पुनरुत्थान था, जिसने एक ऐसे उद्योग में नई जान फूंक दी जो हांफ रहा था और आज हम गदर 2 और जवान जैसी फिल्मों के साथ कई सफलता की कहानियां देख रहे हैं। गंगूबाई काठियावाड़ी ने हिंदी सिनेमा के रिवाइवल को चिह्नित किया और साबित कर दिया कि स्टोरीटेलिंग, अगर जुनून और सटीकता के साथ की जाए, तो किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है। सिनेमाघरों के केवल 50 प्रतिशत क्षमता पर चलने के बावजूद, फिल्म ने सभी मुश्किलों को पार करते हुए अच्छी कमाई की और एक ब्लॉकबस्टर के रूप में शुरुआत की। दर्शक सिनेमाघरों में उमड़ पड़े और उस जादू को देखने के लिए उत्सुक थे जो केवल एक भंसाली फिल्म ही ला सकती है। वैसे ऐसी इंडस्ट्री जहां मेल-सेंट्रिक फिल्में ही डॉमिनेट करती हो, वहां अपनी फिल्म को गंगूबाई के इर्द-गिर्द केंद्रित करने का फिल्म मेकर भंसाली का फैसला ताज़ा था। इसने एक दमदार संदेश दिया कि महिलाएं न केवल एक फिल्म को आगे बढ़ा सकती हैं बल्कि उसे सफलता की नई ऊंचाइयों तक भी पहुंचा सकती हैं। ऐसे में गंगूबाई काठियावाड़ी की खूब तारीफे हुईं और इसे फिल्मफेयर पुरस्कारों में सबसे अधिक नॉमिनेशन्स हासिल हुए। फिल्म ने न केवल संजय लीला भंसाली को सातवां राष्ट्रीय पुरस्कार दिलाया, बल्कि 6 प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते, जो इसकी कलात्मक प्रतिभा का सबूत है। आउटस्टैंडिंग सेट डिज़ाइन से लेकर सावधानीपूर्वक तैयार की गई कॉस्ट्यूम्स तक, फिल्म का हर फ्रेम कला का एक नमूना था, जो परफेक्शन के लिए संजय लीला भंसाली के जुनून और विस्तार पर उनके दृढ़ ध्यान को प्रदर्शित करता था। भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने और उसका जश्न मनाने के प्रति भंसाली का समर्पण उनकी फिल्मों के हर पहलू में झलकता है जिसमें सेट की भव्यता से लेकर उनके गानों की आकर्षक धुन तक सब शामिल है। उनका काम एक ब्रिज के रूप में काम करता है, जो पारंपरिक भारतीय मूल्यों को वैश्विक दर्शकों के साथ जोड़ता है, इस तरह अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी सिनेमा के लिए एक पथप्रदर्शक के रूप में उनकी स्थिति मजबूत होती है। कह सकते है, राज कपूर, के आसिफ, मेहबूब खान, वी शांताराम, गुरु दत्त और कमाल अमरोही जैसे दिग्गज भारतीय फिल्म निर्माताओं के बीच, संजय लीला भंसाली ने अपने लिए एक जगह बनाई हैं। उन्होंने महान भारतीय फिल्म निर्माण की विरासत को सबसे शानदार तरीके से जारी रखा है और ऐसी फिल्में बनाई हैं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए सेलिब्रेशन हैं। गंगूबाई काठियावाड़ी ने हिंदी फिल्म उद्योग में और अधिक सफलताओं के लिए मंच तैयार किया। बता दें कि अगर सिनेमा ने हमें कुछ सिखाया है तो वह यह है कि बदलाव के साथ कैसे दर्शकों की पसंद भी बदल जाती है। हालांकि इस बीच एक संजय लीला भंसाली लगातार अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहा है। सुदामा/ईएमएस 24 सितम्बर 2023