लेख
09-Jun-2023
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देवभूमि उत्तराखंड में सन 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनाव वैतरणी पार करने के लिए कांग्रेस को भाजपा के सिटिंग सांसदों से मजबूत प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने होंगे।हालांकि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस अभी तक जनसम्पर्क में भाजपा से पीछे है,वही प्रत्याशी घोषित करने में भी कांग्रेस भाजपा से पिछड़ जाती है,जो कांग्रेस के लिए नुकसानदेह है।कभी कांग्रेस का गढ़ रही टिहरी लोकसभा सीट के लिए अब पार्टी अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। इस सीट पर कांग्रेस का वजूद अब वर्ष 2024 के आम चुनाव पर टिका है। पार्टी के किसी भी नेता ने अब तक इस सीट के लिए दावेदारी पेश नहीं की है, लेकिन, कुछ वरिष्ठ नेताओं के नाम संभावित तौर पर सामने आ रहे हैं।जिनमें चकराता विधायक व पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व कैबिनेट मंत्री नव प्रभात व शूरवीर सिंह सजवाण का नाम इस सीट के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा है। वही पार्टी संगठन स्तर पर कांग्रेस ने बूथ से लेकर जिला स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी है। वर्ष 2012 से अब तक इस सीट पर लगातार भाजपा का कब्जा है।राज्य गठन के बाद वर्ष 2004 में हुए आम चुनाव में इस सीट पर मानवेंद्र शाह ने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। मानवेंद्र शाह के निधन के बाद वर्ष 2007 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने बाजी मारी। तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार विजय बहुगुणा ने लंबे अर्से बाद कांग्रेस को यहां से जीत दिलाई थी। इसके बाद वर्ष 2009 के आम चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशी विजय बहुगुणा जीते थे।उन्होंने बीजेपी के जसपाल राणा को हराया था। हालांकि वर्ष 2012 के उपचुनाव में बीजेपी ने फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया और पार्टी के टिकट पर माला राज्यलक्ष्मी शाह यहां से चुनाव जीतीं। इसके बाद वर्ष 2014 और 2019 में भी राज्यलक्ष्मी शाह ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की। अब कांग्रेस वर्ष 2012 से चल रही हार को वर्ष 2014 में जीत में बदलना चाहती है, जिसके लिए उसे बड़े फलक पर बड़ी तैयारी के साथ मैदान में उतरना होगा।अधिकतम समय तक राजशाही परिवार के कब्जे में रही यह सीट देश में पहली बार वर्ष 1952 में हुए आम चुनाव में टिहरी सीट पर राज परिवार से राजमाता कमलेंदुमति शाह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी। इसके बाद वर्ष 1957 में पहली बार स्वतंत्र रूप से हुए चुनाव में यहां कांग्रेस के टिकट पर कमलेंदुमति शाह के बेटे मानवेंद्र शाह ने जीत दर्ज की। इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर ही मानवेंद्र शाह ने वर्ष 1962 और 1967 में भी लगातार दो बार जीत दर्ज की। वर्ष 1962 के चुनाव में तो कांग्रेस ऐसी पार्टी थी, जो अकेले यहां से चुनाव लड़ी थी। वर्ष 1971 में कांग्रेस ने नए उम्मीदवार पर दांव खेला और अपने टिकट पर परिपूर्णानंद पैन्यूली को यहां से उतारा था। उन्होंने कांग्रेस को निराश नहीं किया और जीत दिला दी थी। इस चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार मानवेंद्र शाह को हराया।वर्ष 1977 में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी नई पार्टी ने यहां जीत दर्ज। कांग्रेस उम्मीदवार हीरा सिंह बिष्ट को पछाड़ते हुए बीएलडी उम्मीदवार त्रेपन सिंह नेगी यहां से विजयी रहे। इसके बाद वर्ष 1980 में कांग्रेस के त्रेपन सिंह नेगी ने फिर से इस सीट पर जीत दर्ज की। वर्ष 1984 के चुनाव में त्रेपन सिंह कांग्रेस का साथ छोड़कर लोकदल में शामिल हो गए और कांग्रेस ने यहां से नए उम्मीदवार बृह्मदत्त को मैदान में उतारा। ब्रह्मदत्त ने त्रेपन को 14 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर यहां से बड़ी जीत पाई और सांसद चुने गए। इसके बाद वर्ष 1989 में भी वह दोबारा जीते।वर्ष 1991 में टिहरी सीट का चुनावी गणित उस समय बदल गया, जब पहली बार भाजपा ने अपने पैर यहां जमाए और इस सीट पर जीत का खाता खोल दिया। कांग्रेस का गढ़ बन चुकी टिहरी गढ़वाल सीट पर बीजेपी में शामिल हो चुके मानवेंद्र शाह ने कांग्रेस प्रत्याशी बृह्मदत्त को हरा दिया था। इसके बाद वर्ष 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी मानवेंद्र शाह ने बीजेपी के टिकट पर लगातार जीत दर्ज की और कांग्रेस लगातार हारती चली गई।सन 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में उत्तराखंड की विभिन्न सीटों पर दावेदार स्वयं ही सामने आने लगे हैं। धारचूला से विधायक हरीश धामी ने नैनीताल लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। हरीश धामी पिथौरागढ़ जिले की धारचूला सीट से कांग्रेस के टिकट पर लगातार तीसरी बार विधायक हैं। उनका चुनाव क्षेत्र अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह सीट अनुसूचित जाति के आरक्षित है। ऐसे में कांग्रेस विधायक धामी ने अब अल्मोड़ा से सटी और कुमाऊं मंडल की दूसरी संसदीय सीट नैनीताल से टिकट की दावेदारी पेश की है। हरीश धामी ने कहा कि वह लगातार तीसरी बार विधायक हैं। अब लोकसभा चुनाव लडऩा चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वह धारचूला सीट पर लगातार तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव लडऩे का हक उनका भी है। धामी ने कहा कि वह लोकसभा जाना चाहते हैं, ताकि पर्वतीय क्षेत्र की कठिनाइयों को संसद में उठा सकें। उन्होंने कहा कि पहाड़ की जवानी और पानी, दोनों ही यहां के काम नहीं आते हैं। इनके कारणों को वह संसद में रखना चाहते हैं। धामी के सामने आने के बाद कांग्रेस में लोकसभा चुनाव को लेकर दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। अभी तक हरिद्वार लोकसभा सीट पर ही अधिक संख्या में दावेदार सामने आते रहे हैं। नैनीताल सीट पर धामी ने अपनी दावेदारी करके कांग्रेस के भीतर सबको चौंका दिया है।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा की माने तो भावी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सफलता दिलाने में जिलाध्यक्षों की बड़ी भूमिका रहेगी। जिलों में वार्ड स्तर पर पार्टी के बड़े से लेकर छोटे नेताओं और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की जिम्मेदारी जिलाध्यक्षों के कंधों पर डाली गई है। निचले स्तर तक पार्टी की स्थिति के बारे में जिलाध्यक्षों से नियमित फीडबैक लेने का काम प्रारंभ किया जा चुका है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से सभी जिलाध्यक्षों को फार्मेट सौंपा गया है।इस फार्मेट पर पार्टी से जुड़े व्यक्तियों, पूर्व पदाधिकारियों का ब्योरा जुटाया जा रहा है। वार्ड स्तर पर कांग्रेस का प्रदर्शन कैसे सुधरे, इसके लिए स्थानीय नेताओं से फीडबैक भी लिया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा वरिष्ठ नेताओं के सहयोग से जिलाध्यक्षों की सक्रियता सुनिश्चित कर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री नवप्रभात अपनी टीम के साथ जिलाध्यक्षों से संपर्क साध रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में तैनात टीम विभिन्न स्तर पर स्थानीय कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं से नियमित संवाद कर रही है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि पार्टी को हर स्तर पर जनता का समर्थन मिल रहा है। सरकार की नीतियों से असंतुष्ट जनता कांग्रेस की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। सन 2017 के मुकाबले सन 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया है। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर मजबूती ला सकती है। विधानसभा वार कांग्रेस की स्थिति देखें तो पौड़ी गढ़वाल और टिहरी लोकसभा सीट की विधानसभाओं में कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब है।ऐसे में कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में पौड़ी गढ़वाल और टिहरी लोकसभा की विधानसभा सीटों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।प्रदेश की हर एक लोकसभा सीट पर 14-14 विधानसभा सीटें आती हैं।सन 2022 में हुए विधानसभा चुनावों का अवलोकन करें तो पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट की 14 विधानसभा सीटों में से 13 सीटों पर भाजपा और केवल एक सीट पर कांग्रेस काबिज है।इसी तरह टिहरी लोकसभा सीट की 14 विधानसभा सीटों में से 11 सीटों पर भाजपा और केवल दो सीटों पर कांग्रेस है जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में हैं।हरिद्वार लोकसभा की 14 विधानसभा सीटों में से 6 पर भाजपा, 5 पर कांग्रेस, 2 सीटों पर बसपा और एक सीट निर्दलीय के खाते में है। वही नैनीताल लोकसभा की 14 विधानसभा सीटों में से 8 सीटों पर भाजपा और 6 सीटों पर कांग्रेस काबिज है। इसी तरह अल्मोड़ा लोकसभा की 14 विधानसभा सीटों में से 9 सीटों पर भाजपा और 5 सीटों पर कांग्रेस काबिज है।जिससे हम कह सकते है कि प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटें दोनों ही पार्टियों यानि भाजपा व कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। पिछले दो बार से लोकसभा चुनाव में भाजपा पांचों लोकसभा सीटों पर अपना कब्जा बनाए हुए है, जिसके चलते भाजपा इस बार भी कॉन्फिडेंस में है लेकिन तीसरी बार भाजपा के लिए अपना वर्चस्व बरकरार रखना आसान नही होगा,उसकी कांग्रेस के साथ पांचों सीटों पर ही कड़ी टक्कर रहने वाली है ।हालांकि दो लोकसभा सीटों की विधानसभाओं में कांग्रेस की हालत कुछ खास नहीं है लेकिन बाकी तीन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही है।कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस आने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति बना रही है और इन रणनीतियों को सार्वजनिक तौर पर नहीं बताया जाता ।लेकिन पहले भारत जोड़ो यात्रा और फिर हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा के तहत कांग्रेस ने सभी को जोड़ने का प्रयास किया है। इसके बाद अब जन संकल्प सत्याग्रह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। सभी कांग्रेस जन अपने-अपने क्षेत्र में चुनाव को लेकर सक्रिय हो गए हैं।हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के मौजूदा सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ही पुनः दावेदारी ठोक रहे है,हालांकि रह रहकर कभी यतीश्वरानंद महाराज व कभी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी नाम उछाला जा रहा है।वही कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की दावेदारी सबसे मजबूत है ,हालांकि पूर्व मंत्री डॉ हरक सिंह रावत भी गाहे बगाहे दावेदारी की बयानबाजी कर रहे है।लेकिन मुख्य संभावना पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के बीच ही चुनावी मुकाबला होने की है।जिसे तिकोना बनाने के लिए बसपा से सोनिया शर्मा का टिकट तय माना जा रहा है।ऐसे में कांग्रेस का ऊंट किस करवट बैठेगा यह टिकट किसे और कब तक मिलता है,इस पर निर्भर है। (लेखक राजनीतिक चिंतक एवं वरिष्ठ पत्रकार है) ईएमएस / 10 जून 23