कलम बने तलवार तभी तो बात बनेगी। काटे अत्याचार ,तभी सौगात बनेगी ।। कलम वही जो झूठ,कपट पर नित हो भारी। कलम वही जो,मत रखती हो,कोई भी लाचारी।। जहाँ दिखे कोई विकार,तो वह भिड़ जाये। आम आदमी की ख़ातिर,उजियारा लाये। शाहों का भी भय तजकर,ज़िद पर अड़ जाये।। रखे कलम ईमान तभी तो झिलमिल रात सजेगी। काटे अत्याचार ,तभी सौगात बनेगी ।। कलम बने निर्भीक,तभी तो ज्वाल जलेगी। कलम रखे यदि तेज,तभी तो क्रांति रचेगी।। कलम बने तूफ़ानी तो, दरिया को मोड़े। बाधाओं के पर्वत सारे,बढ़कर तोड़े।। कलम करे झंकार,तभी बरसात रचेगी। काटे अत्याचार,तभी सौगात बनेगी ।। कलम की ताक़त वह जाने जो,नित सच्चा है। जिसने साहस सीखा,आज नहीं कच्चा है।। जिसकी मसि ने योद्धा बन,पापों को मारा। ऐसी कलम पूज्य,नित्य उसका जयकारा।। जीवन पाये सार,तभी तो बात बनेगी। कलम बने तलवार,तभीसौगात बनेगी ।। ईएमएस / 07 जून 23