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(विचार-मंथन) जानवरों पर जुल्म (लेखक-सिद्धार्थ शंकर / ईएमएस)
22/02/2021
प्रकृति के साथ किए अन्याय का प्रतिफल बताया जा रहा कोरोना संक्रमण कहीं न कहीं यह उम्मीद लेकर आया कि शायद अब मानवता जीवनदायी प्रकृति और इसके सभी हिस्सेदारों के प्रति कृतज्ञ रहेगी। इसके उत्थान और सम्मान के लिए जागरूक होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। पिछने साल केरल में एक हथिनी को अनानास में पटाखा रखकर खिला दिया गया। बाद में दर्द से कराहती उस हथिनी की मौत हो गई। भारत जैसे देश में, जहां हर जीव को ईश्वर के साथ जोड़कर देखा जाता है, वहां सिर्फ शरारतवश किए गए कुकृत्य ने हथिनी और उसके गर्भस्थ शिशु को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना की पूरे देश में तीव्र प्रतिक्रिया हुई। जानवरों को उनका हक देने और उन्हें सम्मान से जीने के लिए तमाम बातें की गईं, मगर सब व्यर्थ रहीं। अब तमिलनाडु में एक हाथी को बेरहमी से पीटने का वीडियो सामने आया है। यह वीडियो एक रिजुवेनेशन कैंप का है। इसमें दिख रहा है कि दो लोग पेड़ से बंधे हाथी के पैरों पर लकड़ी के डंडे से बुरी तरह मार रहे हैं। दोनों आरोपी महावत बताए जा रहे हैं। इस घटना का एक विजिटर ने वीडियो बना लिया। यह कैंप कोयंबटूर से करीब 50 किलोमीटर दूर ठेक्कमपट्टी में लगा है। वीडियो सामने आने के बाद वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। वीडियो बनाने वाले शख्स के मुताबिक, यह हाथी बीमार है और उसका इलाज चल रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि जब महावत हाथी को पीट रहे हैं, तब वह दर्द से बुरी तरह चिंघाड़ रहा है। हाथी को श्रीविल्लिपुथुर मंदिर का बताया जा रहा है। 48 दिन का यह कैंप हिंदू रिलिजस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट्स लगाता है। इस मसले पर संस्था के अधिकारियों का कहना है कि हमने वीडियो देखा है। एक महावत को सस्पेंड कर दिया गया है। सवाल कार्रवाई का नहीं है। अगर देश में सजा का खौफ होता तो अपराध कभी का खत्म हो गए होते। सवाल यहां मानसिकता का है। कैसे कोई अपने स्वार्थ या गुस्से के लिए निर्दयी हो सकता है। हमें समझना होगा कि इस प्रकार जानवरों के साथ की गई हरकत को किस तरह रोका जाए। हालांकि जानवरों पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1972 में भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम पारित किया था। भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के तहत जानवर को जहर देने, जान से मारने, निरुपयोगी करने की चेष्टा करने के लिए दो साल तक की सजा और जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(ए) के मुताबिक, हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है। जीव-जंतु अपने अधिकारों के लिए लड़ नहीं सकते। ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इनके लिए आवाज उठाएं। अगर नियम अपने लिए हैं तो फिर इनके लिए भी तो हैं जिनका पालन करना हमारा कर्तव्य है।
बचपन में हम सभी पढ़ते हैं जानवरों को सताना बुरी बात होती है लेकिन बड़े होकर हम इस चीज को महत्व नहीं देते। कभी खुद ही इस तरह की शरारत का हिस्सा होते हैं या बच्चों को ऐसा करते देख हंसते रहते हैं या उन्हें इस बात के लिए न रोकने पर कहीं न कहीं प्रोत्साहित करते रहते हैं। जबकि इस तरह की छोटी-छोटी आदतें हैं जो इंसानों को बड़े सबक देने के लिए काफी होती हैं। इन्हें हम सभी ने बचपन में किताबों में बखूबी पढ़ा है मगर जिस वक्त इन बातों को अमल में लाने की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, व्यस्क होते ही हम इन्हें भूल जाते हैं। सिर्फ किताबों ही नहीं प्रत्येक धर्म व ग्रंथों में जानवरों के प्रति करुणा के ढेरों सबक मौजूद हैं, मगर हम उससे कुछ नहीं सीखना चाहते।
22फरवरी/ईएमएस
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