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ब्रिटेन में मिले मंकीपॉक्स के दो नए मामले, संक्रमितों ने कुछ दिन पहले की थी नाइजीरिया की यात्रा
15/05/2022
लंदन (ईएमएस)। ब्रिटेन में कोरोना महामारी के बाद अब मंकीपॉक्स ने लोगों में दहशत पैदा कर दी है। ब्रिटिश स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि लंदन में दो लोगों के मंकीपॉक्स से संक्रमित होने का पता चला है। ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी यूकेएचएसए ने पिछले हफ्ते ही दक्षिणी इंग्लैंड के एक घर में संक्रमण के मामले सामने आने की पुष्टि की है। जो लोग संक्रमित मिले हैं, उन्होंने हाल के दिनों में नाइजीरिया की यात्रा की थी। ऐसे में माना जा रहा है कि ये लोग वहीं पर संक्रमण की चपेट में आए होंगे।
मंकीपॉक्स बीमारी चूहों या बंदरों जैसे संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलती है। मंकीपॉक्स एक दुर्लभ संक्रमण है जो लोगों के बीच आसानी से नहीं फैलता। इसके बावजूद कोरोना वायरस से लाखों लोगों को खो चुके ब्रिटेन में लोगों के मन में डर बैठा हुआ है।
संक्रमण के नए मामले में इसी घर में मिले हैं, लेकिन इनका संबंध पूर्व के मामलों से नहीं है। दोनों नए व्यक्तियों को संक्रमण कहां से हुआ कैसे हुआ, इसकी जांच की जा रही है। यूकेएचएसए के क्लीनिकल एंड इमर्जिंग इंफेक्शंस के निदेशक डॉ कॉलिन ब्राउन ने कहा कि हमने ब्रिटेन में मंकीपॉक्स के दो नए मामलों की पुष्टि की है जो 7 मई को घोषित मामले से जुड़े नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि संक्रमण के स्रोत का पता लगाने के लिए जांच जारी है, इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि यह लोगों के बीच आसानी से नहीं फैलता है। संक्रमित होने के लिए किसी व्यक्ति के संक्रमित लक्षण वाले व्यक्ति के साथ निकट व्यक्तिगत संपर्क में होना जरूरी है। आम जनता के लिए समग्र जोखिम बहुत कम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, इंसानों में मंकीपॉक्स का मामला पहली बार 1970 में सामने आया था। तब से लेकर अब तक अफ्रीका के 11 देशों में इस वायरस की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है।
मंकीपॉक्स के शुरुआती मामले 1958 में सामने आए। जब रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में यह बीमारी फैली। इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला केस 1970 में कान्गो (अफ्रीका) में दर्ज किया गया। मंकीपॉक्स से संक्रमित शख्स के संपर्क में आए लोगों में भी इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है। इस बारे में अधिकारी जांच कर रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, दुर्लभ मंकीपॉक्स वायरस, चिकनपॉक्स वायरस फैमिली से संबंधित है। इसका संक्रमण काफी गंभीर भी हो सकता है।
संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर बड़े-बड़े दानों के आधार पर इस संक्रमण की पहचान की जा सकती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मंकीवायरस संक्रमण होने के बाद लक्षण दिखने में 6 से 13 दिन लग सकते हैं। संक्रमितों को बुखार, तेज सिरदर्द, पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी महसूस हो सकती है। लिम्फ नोड्स की सूजन इसका सबसे आम लक्षण माना जाता है। बीमार शख्स के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े-बड़े दाने हो सकते हैं। अगर संक्रमण गंभीर हो तो ये दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार वर्तमान में मंकीपॉक्स का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। चेचक के टीकों (वैक्सीनिया वायरस से बने) को मंकीपॉक्स के खिलाफ सुरक्षात्मक माना जाता है। ऐसे में इसका बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोग अपने घरों में गंदगी न फैलने दें। खासकर चूहों और बंदरों के मल और उनकी पहुंच से दूर रहें।
अनिरुद्ध, ईएमएस, 15 मई 2022
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